Monday, 26 October 2015

जिन्ने पानी, उन्ने छुपानी



साई बाबा कुछ वाक्य अकसर अपने भक्तों के सामने लगातार दोहराते रहते उनमें एक वाक्यजिन्ने पानी, उन्ने छुपानी - बाबा सीख के रूप में अपने भक्तों को प्रमुख रूप से बताते इस कहावत का मतलब था कि जिसे जो भी मिला है या मिलता है, उसे उसकी नुमाईश कर, उसे छुपाए रखना चाहिए इसके पीछे बाबा की मंशा रही होगी कि उनके भक्तों को अपने मन की बात मन में ही रखना आना चाहिए उनका मानना था कि अपने मन की बात जब हम लोगों के सामने कह देते हैं तो उस बात के फलीभूत होने में कई अडचनें आती हैं जो लोग हमारे प्रति सकारात्मक भाव नहीं रखते, वे हमारी मंशा को जान, हमारे काम को निष्फल करने का प्रयास करेंगे उनकी मानसिकता हमें हतोत्साहित करने की ही होती है आम तौर पर इंसान दूसरों के सुख से दुखी और दूसरों के दुःख से सुखी होता है यह सहज मानव स्वभाव है इस प्रवृत्ति से अपने आप को बचाने के लिए बेहतर होता है कि हम गोपनीयता का पालन करें और नाहक ही अपने आप को दूसरों के सामने खोल के रख दें

हमारे शास्त्रों में भी कई ऐसी बातें बताई गई हैं यदि उनका पालन ठीक तरह से किया जाए तो हम हमेशा परेशानियों से बचे रहेंगेअकसर देखा गया है इंसान अपने स्वभाव के कारण अपनी हर बात को लोगों को बता देता है, जिस वजह से बाद में उसे परेशानी का सामना करना पड़ता हैहमें इन कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए
१.     इंसान को अपने पद मान-सम्मान की बात को गुप्त रखना आना चाहिए ऐसा करने से अंहकार का भाव इंसान पर नहीं आता है अंहकार आने से इंसान के पद मान-सम्मान का पतन होता है साई बाबा भी अहंकारी को अपने से दूर रखते थे अहंकार ईश्वर-प्राप्ति में बाधक होता है
२.     वर्तमान समय में और परिदृश्य में धनवान का मान किया जाता हैधन ही मनुष्य की शक्ति और सामर्थ्य का परिचायक बन गया है धन के आधार पर ही घर रिश्ते निभाए जाते हैं लाभ और हानि व्यापार-व्यवसाय के दो पहलू हैं और कोई भी इनसे अछूता नहीं रहता यदि कभी जीवन में धन हानि हो भी जाए तो इस बात को कभी भी दूसरों को बताएं धन हानि के बारे में लोगों को पता चलते ही आपके अपने पराए सभी आपको अकेला छोड़ देंगेंधन और यश दोनों ही अपने पूर्व कर्मों का फल होते हैं। इन्हें साई की ही कृपा मानो और उसको ही कारक मान कर सम्मान को सर-माथे लगाकर रखो और धन का प्रदर्शन न करते हुए व्यर्थ के आडम्बर से दूर रहो तो बेहतर होगा।
३.     शास्त्रों में दान का अधिक महत्व बताया गया है और दान यदि गुप्त रूप से दिया जाए तो अहंकार पैदा ही नहीं होता और अहंकार के अभाव में ही दान दिया जाना सार्थक होता है ऐसी मान्यता है कि गुप्त दान देने से इंसान को देवी-देवताओं की कृपा और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है
४.     गुरू की सीख और उसके उपदेश को गुप्त रखना चाहिए ये सीख तभी इंसान पर अपना असर करती जब गोपनीयता का पालन किया जाए गुप्त रखी गयी सीख से इंसान को अपार सफलता मिलती है अपने ज्ञान का व्यर्थ प्रदर्शन करने से आप अपने आप को शक्तिहीन बनाना प्रारम्भ कर देते हैं। लोग समझ जाते हैं कि आप कितने पानी में हैं।
५.     पति-पत्नी-संतान का रिश्ता बहुत ही पवित्र, गरिमामयी होता है कभी भी इन रिश्तों के बीच होने वाली बातों को किसी के सामने नहीं कहना चाहिए चाहे वह इनके बीच लड़ाई हो या प्रेम की बातें, इन बातों को आपस में गुप्त रखना चाहिए ये बात किसी बाहरी इंसान को पता नहीं होनी चाहिए इन बातों का भान किसी और को होते ही रिश्ते में दरार पड़ना शुरू हो जाती है
६.     प्राचीन समय से शास्त्रों में ये बात भी कही गई है की औषधि यानि दवाई को भी दूसरे लोगों से छिपाकर इस्तेमाल करना चाहिए दवा और डॉक्टर के बारे में पता चलते ही आपका दुश्मन आपके स्वास्थ्य और उसकी समस्याओं के बारे में जान जाता है और अपनी रणनीति उसके अनुकूल बनाता है  
७. कभी जीवन में किसी बात पर आपका अपमान होता है तो इस बात को भी गुप्त रखना आपके लिए फायदेमंद होता है दूसरों को अपने अपमान की बात बताने से लोग आपका मजाक बना सकते है जिससे इंसान ज्यादा दुखी होता है
अपने साई की सीख पर पर हर इंसान को ध्यान देना चाहिए ताकि वह जीवन में आने वाली परेशानियों से बच सके


 बाबा भली कर रहे।।

श्री सद्गुरु साईनाथार्पणमस्तु। शुभं भवतु।

3 comments:

  1. Bilkul sahi hai. mere baba ne ye jo bola ye mere liye kuch amal karne laayak hai, waise baba ne to wunke har bacho ko samjaya hi hai par baba se binti hai ki he mere sai baba muje ein baato pe amal Karen ki sakti de our ein baato ke raah pe chalu, our jo bholapan hai ye hi mera dusaman hai. To mere sai baba muje sakti do ki mai ein baato ko pradaan karu. Om sai ram mere baba mere baba om sai ram.

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