Saturday, 28 February 2015

साई की लीला अपरंपार...


स्मरण करके देख लो ऊं साई का नाम।
स्वत: पूरे हो जाएंगे बिगड़े सारे काम।

ईश्वर कौन है? जिंदगी जीने का सही तरीका क्या है? धर्म क्या है; कर्म क्या है? पापा क्या है; पुण्य क्या है? ऐसे कई सारे प्रश्न हैं, जिनका साई ने अपने अलहदा तरीके से उत्तर दिया है। साई के बारे में जितना भी कहो; कम है। उनके बारे में कोई कुछ कह भी नहीं सकता। साई जब तक सशरीर पृश्वी पर मौजूद रहे; लोगों को; भक्तों को उनकी शंकाओं-कुशंकाओं से उबारते रहे।

कुछ लोग कहते हैं कि; साई ईश्वर का अवतार थे। कइयों का मानना है कि; वे चमत्कारिक महापुरुष थे; संत थे, बाबा थे। लेकिन साई क्या थे? उसे समझने के लिए अंतरमन में झाकना होगा; क्योंकि साई सबकुछ थे। वे हमारे मन में बैठी भावनाएं थे; जो हमारी इंद्रियों के जरिये अपनी अभिव्यक्ति करते थे। 

साई के परमभक्त श्री गोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर; जिन्हें बाबा हेमाडपंत कहकर पुकारते थे; ने अपनी पुस्तक श्री साई सच्चरित में बाबा की लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया है। जिन्होंने यह अद्भुत ग्रंथ; पवित्र ग्रंथ पढ़ा है, वे भली-भांति जानते-समझते हैं कि; बाबा ने मानव अवतार क्यों लिया था? 
Shri Hemadpant

हेमाडपंत ने यह यह महाग्रंथ मराठी भाषा में लिखा था, जिसका श्री शिवराम ठाकुर ने हिंदी में अनुवाद किया था। बगैर बाबा की आज्ञा के उन पर एक शब्द भी लिख पाना मुमकिन नहीं। कलम तभी चलेगी; दिमाग तभी काम करेगा, जब बाबा आपको आज्ञा दें। बाबा की आज्ञा थी; उनके भक्तों की अनुग्रह कि; मैं बाबा की कहानी; उनकी लीलाएं; उनकी बातें सरल भाषा में नई पीढ़ी तक पहुंचाऊं। कई बार कोशिश की; हर बार अल्पविराम लगता रहा। लेकिन बाबा ने आज्ञा दी, तब यह पुस्तक लिखने का प्रयास किया।

समय के साथ तमाम चीजें बदलती हैं। जीवनशैली में व्यापक बदलाव आता है। बोलने-चालने के तौर-तरीके बदलते हैं। बाबा के बारे में कौन नहीं जानता? लेकिन सिर्फ जानना ही काफी नहीं है। ईश्वरीय अवतार बाबा किस प्रयोजन से मानव अवतार में आए? वे अपने भक्तों/आमजनों को क्या संदेश देते थे; देना चाहते हैं; इसे ध्यान से समझना भी आवश्यक है। जो नई पौध; युवा पीढ़ी के बीच बाबा के संदेश सरल और सहज भाषा/उदाहरणों के साथ पहुंचे; हमने इस पुस्तक के जरिये बस यही एक छोटा-सा प्रयास किया है।

बाबा के अवतरण; और समाधि 15 अक्टूबर 1918 के दरमियान उनका सान्निध्य पाने वाले लोगों ने जो कुछ देखा/सुना और पाया अथवा महसूस किया; यह पुस्तक उन्हीं सत्य घटनाओं को सरल तरीके से शब्दों में पिरोने की एक छोटी कोशिश है।
बाबा महाराष्ट्र के परभानी जिले के पथरी कस्बे में जन्मे। हालांकि बाबा की लीला अपरंपार है, वे कहां से अवतरित हुए; यह ठीक से कोई नहीं जानता। बाबा ने अपनी जिंदगी की लंबा वक्त; महानिर्वाण तक शिरडी में गुजारा। बाबा के पावन चरणों का प्रतिफल ही है कि; शिरडी आज दुनिया में तीर्थ स्थल के तौर पर जाना-पहचाना जाता है। यहां जो मुराद लेकर आता है, खाली हाथ नहीं जाता। इस पुस्तक की रचना भी हमारे लिए एक मुराद पूरी होने जैसा ही है।

हेमाडपंत ने बाबा की जीवनी को कहानियों के रूप में अपनी पुस्तक श्री साई सच्चरित्र में उतारा है। ये वो सच्ची घटनाएं हैं, जिन्होंने मानव जगत को एक नई दिशा-दशा दी। इस पुस्तक में इन्हीें कहानियों का संक्षिप्त पुट आपको दिखाई पड़ेगा।

6 comments:

  1. Om sai ram 🙏
    Baba pe sharda or vishwas rkhiye bas 😊
    Mere sai

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  2. Sai baba toh jagat ke palanhar hain
    Sai baba hi sampurna charachar me samaye huye hai,
    Sai baba ne hi toh pura vishva vyapt kiya hai,
    Sampurna jagat ke malik hain mere sai baba,
    Sai baba sab ka kalyan karna
    Om sai ram

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