तन में कुछ उल्लास भरा हो और मन में हो भक्ति।
निष्प्राण में भी जान फूंक दें, बाबा में ऐसी शक्ति।
हम धरती पर डॉक्टर को भगवान तुल्य मानते हैं; कारण सबको पता है। हम डॉक्टर के पास अपनी बीमारी का इलाज कराने जाते हैं। डॉक्टर हमसे जो कहते है, जैसा करने को कहता है; हम बगैर कोई शक-शंका के उसका अक्षरश: अनुसरण करते हैं। वो हमें कौन-सी दवा दे रहा है, कैसे इलाज कर रहा है, हम इसे लेकर बिलकुल आशंकित नहीं होते। ठीक ऐसी ही स्थिति गुरु, मात-पिता और ईश्वर के मामले में होती है। इन सबकी आज्ञा का हम दिल से पालन करते हैं। कोई शंका की गुंजाइश नहीं होती। अगर शंका हुई, तो समझिए; हम अच्छे शिष्य, बेटा-बेटी और भक्त कदापि नहीं हो सकते।
साई बाबा गुरु, अभिभावक और ईश्वर तीनों के तुल्य हैं। जिन-जिन लोगों ने मन से उन्हें अपनाया; या आज भी मानते हैं, उनके सभी सकल पूरे होते हैं; निर्बाध होते हैं। बाबा सबकी भलाई में यकीन रखते हैं। बाबा बीमारों का इलाज करते थे, लेकिन उनकी तौर-तरीका एकदम अलग होता था। जिन लोगों ने उन पर यकीन किया, वे चमत्कारिक रूप से भले-चंगे हुए।
पहले बाबा देसी तरीके से लोगों की बीमारियां ठीक करते रहे, लेकिन एक दिन उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया। वे धूनी की राख भक्तों को देने लगे। बाबा हमेशा अपनी धूनी प्रज्जवलित करके रखते थे। जब भी कोई भक्त दु:ख-तकलीफ लेकर बाबा के पास आता; वे धूनी से मु_ीभर राख भरते और उसे दवा के तौर पर दे देते।
लोग सोचने लग जाते कि; क्या यह कोई चमत्कारी राख है? लोग इसलिए भी अचंभित होते, क्योंकि बाबा जलती हुई धूनी से राख निकालते थेे। लेकिन जब बीमार राख चाटकर,अपने माथे पर लगाकर दुरुस्त हो जाता, तो लोग कहतने लगते, कितनी पावर है इसमें। रामबाण औषधी है यह तो! साई सद्चरित में ता बाबा के ऐसे ढेरों किस्से हैं कि; वे किस तरह ऊदी(धूनी की राख) से लोगों की बीमारियां ठीक कर देते थे। दरअसल, वह राख का नहीं; बाबा के हाथों का चमत्कार था, हुनर था। जैसे एक-सी साग-सब्जी होने के बावजूद अलग-अलग लोगों के हाथ से बनाई गई तरकारी का स्वाद जुदा-जुदा होता है। जो पाककला में शिद्दस्त हासिल कर लेता है, वो मास्टर शेफ हो जाता है। ठीक वैसे ही बाबा मास्टर माइंड थे। उन्होंने हर वस्तु के नायाब प्रयोग के तरीके सीख लिए थे।
कुछ और किस्से भी...
कइयों ने बाबा के चमत्कार देखे और आज भी महसूस कर रहे हैं। हमें भी ऐसे सैकड़ों लोग मिले। मैं कुछ पुराना जिक्र करना चाहूंगा। एक बार साई की कृपा से हमें भोपाल में एक साई मंदिर में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहां एक सेवादार थीं। वे 1977 का अपना एक अनुभव सुनाने लगीं। उन्होंने कहा; सुमित भाई मैं जीवन में पहली बार बाबा के भजनों का कार्यक्रम प्रस्तुत करने जा रही थी, तभी खतरनाकरूप से थ्रोट इंफेक्शन हो गया। मैंने तो बाबा की ऊदी पानी में मिलाई और पी गई। शाम को कार्यक्रम भी दे दिया। मुझे पता ही नहीं चला कि मेरा गला कब ठीक हो गया। एक साधारण मनुष्य के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं; लेकिन ईश्वर के लिए; बाबा के लिए यह तो आम बात थी। वे उस महिला सेवादार की दुविधा को पढ़ चुके थे। इसलिए उन्होंने ऊदी में अपना आशीर्वाद मिलाया; अपने भीतर अथाहरूप से भरी पड़ी ऊर्जा का एक अंश उसमें मिश्रित किया। जैसे ही उस सेवादार ने ऊदी को पानी में घोला और पीया; उसका गला एकदम दुरुस्त हो गया।
ऊदी यानी राख की अपनी ताकत होती है। सुना और पढ़ा भी होगा कि; जब गांव-गांव में साबुन आदि उतने इस्तेमाल नहीं होते थे; तब लोग हाथ साफ करने के लिए चूल्हे की राख का इस्तेमाल करते थे। वे राख अपनी हथेली पर अच्छे से मलते और फिर पानी से धो देते। उनका हाथ कीटाणु से मुक्त हो जाता। राख में यह गुण है कि, वो आपके हाथों से कीटाणु मार सकती है। आज भी कई गांवों में ऐसा होता है। साधू-संत आज भी ऐसा ही करते हैं। लेकिन जब इस राख से किसी महान पुरुष; का स्पर्श होता है, तो उसमें ऊर्जा का संचार भी हो जाता है। यही ऊर्जा व्यक्ति के अंदर की बीमारियों को साफ करती देती है। बाबा यही चमत्कार करते थे। वे राख की ताकत को अपनी शक्ति और पवित्र ऊर्जा से और अधिक प्रभावी बना देते थे।
ऐसी ही एक घटना और है। उसी मंदिर में हमें एक सज्जन मिले। भोपाल के बीएचईएल के रिटायर्ड अफसर थे, लेकिन बाद में दिल्ली में रहने लगे थे। ड्यूटी के दौरान कारखाने में उनके सिर पर कोई भारी चीज गिर पड़ी थी। वे बाबा के भक्त थे। बाबा ने उनकी जान तो बचा दी, लेकिन उन्हें इनसेसेंट वर्टिको हो गया। मतलब; वह अपनी गर्दन जरा ऊपर करते, तो चक्कर आ जाते और वे गिर पड़ते। उनके लिए ठीक से खड़े हो पाना मुश्किल हो गया। जब वो अपनी यह पीड़ा हमें बता रहे थे, तब उनकी आंखों से टपटप आंसू बह निकले।
वे कहने लगे, दुनियाभर के अच्छे-बड़े डॉक्टर को दिखा चुका था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। भेल प्रबंधन ने खुद मेरा खर्च उठाया। हर तरह से इलाज करवाया, लेकिन लाभ नहीं मिला। फिर मैं किसी के कहने पर शिर्डी गया। मुझे ट्रेन में लिटाकर ले जाना पड़ा, क्योंकि मैं खड़ा ही नहीं हो पाता था। साई मंदिर किसी ने मेरे सिर पर भभूत लगाई और मुझे बाबा के सामने लिटा दिया। जैसे ही मैंने सिर उठाया, मुझे नहीं पता कि मेरा वर्टिगो कहा चला गया।
मित्रों, यह तो दूसरों के किस्से हैं; मैं आपको अपना ही एक अनुभव सुनाता हूं। मुंबई के नानावटी हॉस्पिटल का चिल्ड्रन इंटेनसिव यूनिट। पेशेंट का नाम कृष पंड्या। मेरी साली का बेटा। कृष को दौरे पड़ते थे; मिर्गी या किसी अन्य के। एक दिन इसी फीड्स के दौरान उसने खुद को बुरी तरह घायल कर लिया। उसका शरीर काला पड़ गया। डॅाक्टर ने उसके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। हम लोग उसे देखने गए। डाक्टर ने कहा, इट्स मैटर ऑफ टाइम।
मेरी पत्नी ने पूछा, आपके पास बाबा की ऊदी है? मैंने हां में जवाब दिया। उसने कहा लाइए। मैं हास्पिटल के बाहर खड़ी अपनी गाड़ी से ऊदी लाया। हमने डॉक्टर की परमिशन ली और ऊदी बच्चे के सिर पर लगा दी। चूंकि आईसीयू में किसी को भी ज्यादा ठहरने की इजाजत नहीं दी जाती, इसलिए हमें तुरंत वहां से निकलना पड़ा। करीब एक घंटे के बाद कृष की मां का फोन आता है कि; यह तो चमत्कार हो गया। वह ठीक है और डॉक्टर कह रहे हैं, इसे ले जाओ अपने घर।
एक और किस्सा सुनिए! जयपुर में रहने वाले मेरे अभिन्न मित्र के बेटे को डेंगू हो गया था। उसके प्लेटलेट्स चार लाख से गिरकर मात्र 20 हजार रह गए थे। हम लोग भी जयपुर पहुंचे। मैंने दोस्त को बाबा की भभूति दी और कहा, आगे बाबा भला करेंगे। दोस्त ने पानी में मिलाकर उसे भभूत लगाई और पिला दी। दोपहर को मेरे पास फोन आता है, सुमित भाई डॉक्टर ने कहा है बच्चे को डिस्चार्ज कराके घर ले जाओ। इस ऊदी के माध्यम से बाबा क्या संदेश देना चाहते थे? यही कि; संपूर्ण जगत नश्वर है। आप और हम एक दिन इसी राख की तरह हो जाएंगे, लेकिन अपने जीवन को इतना दैवीत्यमान बनाओ कि तुम राख होकर भी किसी के काम आ सको। मुक्त हाथ से ऊदी बांटते-बांटते बाबा बड़े दिल से गाना गाते थे। रमते राम आओ जी ऊदीया की गुनिया लाओ जी। शिर्डी में आज भी बाबा द्वारा प्रज्ज्वलित धूनी जल रही है। इस धूनी की राख आज भी लोगों की पीड़ा हर रही है।
Nice experience sir om sairam
ReplyDeleteNice experience sir om sairam
ReplyDeleteNice lesson to human beings.
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteYes, I have come across many people who told their good experiences of Udi.
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteAbsolutely right....baba ji apna aashirwad mere ghar pr bnaye rakhna
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteॐ श्री साईं नाथाय नमः
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏 baba sabka bhala kriye, mere bete ko apna aashirwad digiye prabhu
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